Tuesday, 8 September 2020

महामारी के संकट में संजो बघेल ने कैसे किया देशवाशियो का दर्द बयां | Sanj...

केहू नइखे बोलत बा | बहुत ही दर्द भरा गीत |Pradhum yadav kehu naikhe bola...

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कोरोना लॉकडाउन में मजदूर पलायन पर दर्द भरा गाना | बुंदेली गीतों में खबरो...

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Corona virus per dard bhari song

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कोरोना के महामारी में कोरोना का दर्द भरा गीत ।। Corona काल बन के आइल बा ...

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Saturday, 28 March 2020

दिल्ली दंगा : कमाल की पुलिस और पुलिस का कमाल, रस्सी को सांप नहीं, सपेरे को बता रही है सांप


पुलिस को रस्सी का सांप बनाते तो सुना होगा आपने, लेकिन दिल्ली पुलिस ने तो उससे भी आगे जाकर और भी बड़ा कमाल कर दिया कि वह सपेरे को ही सांप साबित कर रही है। रस्सी और सांप में कुछ चीजे एक जैसी होती हैं । जैसे सांप भी रस्सी की तरह लम्बा होता है। दूसरे जिस तरह से सांप मुड़ सकता है ठीक उसी तरह से रस्सी को भी मोड़ कर रखा जा सकता है। फर्क सिर्फ इतना होता है कि सांप जीव है और रस्सी निर्जीव। पुलिस की इस तरह की कार्यशैली को लोग हजम करने के आदी भी हो गए थे। लेकिन दिल्ली पुलिस ने एक और कमाल कर दिया उसने सांप जैसे दिखने वाले नहीं बल्कि उससे बिलकुल भिन्न सपेरे (इंसान) को ही सांप साबित कर दिया।
जवाहर लाल विश्विद्यालय में गुंडों द्वारा किया गए हमले में दिल्ली पुलिस गुंडों को तो नहीं पकड़ सकी, लेकिन जो लोग गुंडों के हमलों के शिकार हुए उन्ही को गुंडा साबित करने में जुट गयी। जिनके सिर  फटे, जिनको चोटें आई वही हमलावर बना दिए गए। कमाल है दिल्ली पुलिस। लेकिन पुलिस की यह कहानी देश को हज़म नहीं हो रही है। और जनता खुलकर नारा लगा रही है कि ये जो दहशतगर्दी है इसके पीछे वर्दी है।  
मुझे अपने क्राइम रिपोर्टिंग के दौर की एक घटना याद आ रही है। जिसमे चोरी की रिपोर्ट लिखवाने  वाले को ही पुलिस ने चोरी के इल्जाम में हिरासत में ले लिया था। घटना उत्तर प्रदेश की थी।  थाने में एक व्यक्ति पुलिस के पास चोरी की रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंचा। जैसा की आपको पता है कि थाने वाले जल्दी अपराध को दर्ज नहीं करते, क्योंकि थाने का रिकार्ड खराब होता है। इसलिए पीड़ित को इतना परेशां कर दो की वह खुद ही बिना रिपोर्ट लिखाये थाने से चला जाए।  लेकिन यहां शिकायतकर्ता पुलिस को अपना रक्षक मान कर वहीं बैठा रहा। जब बार बार शिकायतकर्ता शिकायत दर्ज करने का आग्रह करता रहा तो पुलिस वालों ने शाम को उसी चोरी के आरोप में उसे ही हवालात में डाल दिया। अब शिकायतकर्ता की मुसीबत और बढ़ गई। इस बीच किसी तरह से उसके एक परिचित थाने में उसकी खैर खबर लेने पहुँच गए। वहां अपने परिचित को ही सलाखों के पीछे देखा। तब हवालात से बाहर का रास्ता वहां मौजूद पुलिस वाले से पूंछा तो उसने दान दक्षिणा की बात की। मरता क्या न करता की कहावत को चरितार्थ करते हुए उसने अपने परिचित को छुड़ाने के लिए मांगी गई धनराशि उपलब्ध करा दी।  उस रिश्वत की धनराशि को पुलिस ने चोरी की रकम बरामदगी में दिखला दी।
अब शिकायतकर्ता और परिचित दोनों के लिए मुसीबत दोगुनी हो गई। तब उस सज्जन ने मुझसे संपर्क किया।  इस बाबत जब उन पुलिस वालों से जानकारी ली गयी तो उन्होंने कहा कि हम कोई भगवान् तो हैं  नहीं की चोर को पकड़ लें। इसलिए हम चोरी दर्ज ही नहीं करते। अगर दर्ज कर लेंगे तो आप लोग दबाव बनाओंगे की चोर क्यों नहीं पकड़ रहे। इसलिए चोर भी पकड़ा गया और माल भी बरामद, कागजी खानापूर्ति हो गई। यह सारा ड्रामा देखकर आला अधिकारीयों से संपर्क किया। तब जाकर शिकायतकर्ता को राहत मिली।
कुछ इसी तरह से दिल्ली पुलिस भी कहानी बना रही है। और सपेरे को ही सांप साबित करने में लग रही है। और उसने जैसे सबके सामने आकर झूठ दर्शाया है उससे उसकी छवि और कार्यशैली से लोगों का विश्वास उठा है हां आखिर में एक बात जरूर कहना चाहता हूँ कि सारे पुलिस वालों की इस तरह की मानसिकता नहीं होती है। उन पर काफी दबाव भी होता है। इस मामले में भी हो सकता है दबाव काम कर रहा हो। लेकिन उन्हें क़ानून और संविधान का उल्लंघन कदापि नहीं करना चाहिए। जिसकी रक्षा के लिए वह शपथ लेकर अपने पद पर आते हैं। 
 (सईद अहमद )   संपादक वेब वार्ता समाचार एजेंसी 





कोरोना संक्रमण : तुम हमें जानों, ना हम तुम्हे जानें


 हिन्द के प्रधानमंत्री की हाथ जोड़कर सोशल डिस्टेंस की अपील साधारण नही बल्कि उसकी गंभीरता को दर्शाती है। क्यों एक देश का प्रधानमंत्री अपने देशवासियों से हाथ जोड़कर अपील करता है? क्यों वह अपने घर की दहलीज़ लांघने से मना करता है? क्यों कहता है कि इस भयावह महामारी से बचने का, इसके चक्र को तोड़ने का महज़ एक ही तरीका है लोगों से दूरी? देश वासियों को इस गंभीरता को समझना होगा। हमारे पास वक़्त है इस महामारी से बचने का, वक़्त है संभलने का।
हम अपने प्रधानमंत्री की बात को अक्षरस: माने भी और गंभीरता से भी लें । क्योंकि हमारे पास स्वास्थ्य सेवाएं उतनी बेहतर नहीं हैं । जितनी उन देशों के पास हैं जो हमसे विकट स्थिति से गुजर रहे हैं । हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री ने तो सिर्फ हाथ जोड़े हैं । अगर हमने उनका सहयोग नहीं किया उनकी अपील को गंभीरता से नहीं लिया तो आप इटली के प्रधानमंत्री का देश वासियों के सन्देश को देख लीजिये। जिसमे सन्देश से ज्यादा वक़्त तक वे रोते रहे। संकट गंभीर है।
अब आप समझिये आखिर क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को लेकर दूसरी बार देश को संबोधित किया? उन्होंने अपने सन्देश में पहले सन्देश जनता कर्फ्यू की सफलता के लिए देश की जनता को बधाई दी। इसके तुरंत बाद कहा कि आज रात (24 मार्च) 12 बजे से देश के हर हिस्से में लॉकडॉउन किया यह लॉकडाउन 21 दिनों का होगा। उन्होंने कहा कि ये एक तरह का कर्फ्यू ही है। यह जनता कर्फ्यू से ज्यादा सख्त होगा। कोरोना महामारी को रोकने के लिए यह लॉकडाउन जरूरी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 22 मार्च को हमने जनता कर्फ्यू का जो संकल्प लिया था, एक राष्ट्र के नाते उसकी सिद्धि के लिए हर भारतवासी ने पूरी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ अपना योगदान दिया। बच्चे, बुजुर्ग, गरीब -मध्यम हर वर्ग लोग परीक्षा की इस पल में साथ आए। जनता कर्फ्यू को हर भारतवासी ने सफल बनाया। जनता कर्फ्यू ने बता दिया कि जब देश और मानवता पर संकट आता है तो हम सभी भारतीय मिलकर एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं। आप सभी जनता कर्फ्यू की सफलता के लिए बधाई के पात्र हैं।
पीएम मोदी ने कहा दुनिया के समर्थ देशों को भी इस महामारी ने बेबस कर दिया है। ऐसा नहीं है कि यह देश प्रयास नहीं कर रहा है, या उनके संसाधनों की कमी है। वास्तविकता यह है कि कोरोना वायरस जिस तेजी से फैल रहा है कि तमाम तैयारियां और प्रयासों के बावजूद चुनौती में वृद्धि होती ही जा रही है। इन देशों के दो महीने के अध्ययन के बाद जो निष्कर्ष निकल रहा है और विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि इस कोरोना से प्रभावी मुकाबले के लिए एक मात्र विकल्प है, 'सामाजिक दूरी', यानी एक दूसरे से दूरी बनाकर अपने घरों में रहना। कोरोना से बचने का इसके अलावा कोई उपाय नहीं है।
पीएम ने कहा कि कोरोना को अगर फैलने से रोकना है तो उसके संक्रमण की साइकिल को तोड़ना ही होगा। कुछ लोग इस गलतफहमी में हैं कि सामाजिक दूरी केवल मरीज के लिए है। ये सोचना सही नहीं है। सामाजिक दूरी हर नागरिक और परिवार के लिए है । यह प्रधानमंत्री के लिए भी है। कुछ लोगों की लापरवाही और गलत सोच आपको और आपके माता-पिता, बच्चों, परिवार, दोस्तों और आगे चलकर पूरे देश को बहुत विकट मुश्किल में झोंक देगी। अगर ऐसी लापरवाही जारी रही तो भारत को इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। यह कीमत कितनी बड़ी होगी इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। पिछले दो दिनों से देश के अनेक भागों में लॉकडाउन किया गया है। राज्य सरकारों के इस प्रयास को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए।
पीएम ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों और अन्य देशों के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए देश एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने जा रहा है। पीएम ने कहा कि आज रात 12 बजे से संपूर्ण देश में संपूर्ण लॉकडाउन होने जा रहा है। इसके लागू होते ही लोगों के घरों से बाहर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जा रही है। देश के हर राज्य, जिले, कस्बे, गली को अब लॉकडाउन किया जा रहा है। पीएम ने कहा कि यह एक तरह से कर्फ्यू ही है। जनता कर्फ्यू से कुछ कदम आगे की बात। जनता कर्फ्यू से ज्यादा सख्त। कोरोना महामारी से निर्णायक युद्ध के लिए यह कदम अब बहुत आवश्यक है।
पीएम ने कहा कि इस लॉकडाउन से देश को आर्थिक नुकसान होगा। लेकिन एक-एक भारतीय का जीवन बचाना इस समय भारत सरकार की सबसे बडी प्राथमिकता है। इसलिए मैं हाथ  जोड़कर  प्रार्थना करता हूं कि आप इस समय देश में जहां कहीं हैं, वहीं रहें ।
पीएम ने कहा जब मैं पिछली बार बात करने आया था तो आपसे कहा था कि कुछ सप्ताह मांगने आया हूं। आने वाले 21 दिन हर नागरिक के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर यह 21 दिन नहीं संभले तो देश और आपका परिवार 21 साल पीछे चला जाएगा। कई बार हमेशा के लिए तबाह हो जाएगा। मैं यह बात प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं, आपके परिवार के सदस्य के नाते कह रहा हूं। इसलिए बाहर निकलना क्या होता है, यह 21 दिन भूल जाएं। घर में रहें, घर में रहें और एक ही काम करें केवल घर रहें।
पीएम ने कहा कि कोरोना ने आपके घर के बाहर एक लक्षमण रेखा खींच दिया है। आपको याद रखना है कि घर के बाहर जाने वाला आपका एक कदम कोरोना जैसी गंभीर महामारी को आपके घर ले आ सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कई बार होता है कि जो संक्रमित हैं उनके बारे में 21 दिनों तक पता ही नहीं चलता है। एहतियात बरतिए, अपने घरों में रहिए। जो लोग घरों में हैं वे सोशल मीडिया पर इनोवोटिव तरीके से इस बात को बता रहे हैं। पीएम ने कहा कि सोशल मीडिया पर मुझे भी एक बैनर पसंद आया (उसे उन्होंने दिखाया) जिसमें लिखा है- को=कोई, रो=रोड पर, ना= ना निकले। पीएम ने कहा कि कोरोना यानी कोई रोड पर ना निकले।
पीएम ने कहा कि विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अगर किसी शख्स में कोरोना का संक्रमण हुआ है तो इसके लक्षण दिखने में कई-कई दिन लग जाते हैं। इस दौरान वह जाने-अनजाने हर उस व्यक्ति को संक्रमित कर देता है जो उसके संपर्क में आते हैं। पीएम ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि इस महामारी से संक्रमित एक व्यक्ति एक सप्ताह में  लोगों तक यह बीमारी पहुंचा सकता है। यानि  यह आग की तरह फैलता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक और रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना का संक्रमण पहले एक लाख लोगों तक पहुंचने में 67 दिन लगे। उसके बाद अगले 11 दिन में एक लाख और संक्रमित हो गए। यानि  दो लाख। वहीं दो लाख से तीन लाख लोगों तक संक्रमण पहुंचने में सिर्फ चार दिन लगे। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कोरोना कितनी तेज़ी से फैलता है। जब यह फैलना शुरू करता है तो इसे रोकना कितना कठिन होता है। यही वजह है कि चीन, इटली, ईरान, फ्रांस, अमेरिका, इंग्लैंड आदि कई देशों में कोरोना के हालात बेकाबू हैं।
पीएम ने कहा कि हमें यह भी याद रखना चाहिए कि इटली हो या अमेरिका इनकी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी दुनिया में बेहतरीन हैं। बावजूद इसके ये देश कोरोना का प्रभाव कम नहीं कर पाए। इस स्थित में उम्मीद की किरण क्या है। हमने अनुभव से पाया कि जिन देशों के नागरिक हफ्तों तक घरों से बाहर नहीं निकले वहां कोरोना नियंत्रित हो पाया। इन देशों के नागरिकों ने सरकारी निर्देषों का पालन किया। इसलिए ये महामारी से बाहर आने की ओर हैं। इसलिए हमारे पास भी केवल यही विकल्प है। चाहे जो हो जाए हमें घर से बाहर नहीं निकलना है। प्रधानमंत्री से लेकर गांव में रह रहे आम आदमी तक को कोरोना से बचना है तो घर से बाहर नहीं निकलना है।
पीएम ने कहा कि हमें इस वायरस को फैलने से रोकना है। भारत इस वक्त उस स्टेज पर है कि हमारे एक्शन तय करेंगे कि हम इस आपदा के प्रभाव को कितना कम कर सकते हैं। यह समय हमारे समय को बार-बार मजबूत करने का है। आपको याद रखना है जान है तो जहान है। यह धैर्य और अनुशासन का वक्त है। जब तक लॉकडाउन  है तब तक अपना वचन निभाना है।
घरों में रहकर आप उन लोगों के लिए मंगल कामना कीजिए जो खुद को  खतरे में डालकर काम कर रहे हैं। उन डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ के बारे में सोचिए जो इस महामारी से एक-एक जीवन को बचाने के लिए काम कर रहे हैं। एंबुलेंस चलाने वाले से लेकर अस्पताल वॉर्ड स्टॉफ और सफाई कर्मचारियों के बारे में सोचिए जो इस कठिन परिस्थिति में भी दूसरों की सेवा कर रहे हैं। उन लोगों के लिए प्रार्थना कीजिए जो आपके मोहल्लों को सेनेटाइज कर रहे हैं।
आपको सही जानकारी देने के लिए मीडिया में काम कर रहे लोगों के बारे में सोचिए। जो खतरा उठाकर रोड पर, अस्पतालों में जा रहे हैं। आप अपने आसपास के पुलिसकर्मियों के बारे में सोचिए जो अपने घर परिवार की चिंता किए बिना दिन रात ड्यूटी कर रहे हैं। कई बार कुछ लोगों के गुस्से  का शिकार भी हो रहे हैं।
पीएम ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें कोरोना को रोकने के लिए निरंतर काम कर रही हैं। लोगों की रोज-मर्रा की जिंदगी में असुविधा न हो इसके लिए काम कर रही है। सभी आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बनी रहे, इसके उपाय किए गए हैं।
इस मुश्किल वक्त में गरीबों की मदद के लिए सरकार, सिविल सोसाइटी और अन्य संस्थाएं कोशिश में लगी हैं। गरीबों की मदद के लिए अनेकों लोग साथ आए हैं। जीवन बचाने के लिए जो जरूरी है उसे सर्वोच्च प्राथमिकता देनी ही होगी। इस वैश्विक महामारी से सामना करने के लिए देश की स्वास्थ्य सुविधाओं को तैयार करने के काम केंद्र सरकार लगातार कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन, देश के विशेषज्ञों की सलाह पर सरकार ने निरंतर फैसले भी लिए हैं।
मेरी भी देशवासियों से अपील है कि प्रधानमंत्री के सन्देश का सियासी व धार्मिक मतलब बिलकुल भी न निकाले। और न ही धर्म की आड़ बनाकर कोई इलाज की बाते करें। जैसा कि पिछले दिनों कुछ लोग राजनैतिक लवादा ओढ़कर मूत्र और गोबर में निदान बता रहे थे। कुछ संप्रदाय के लोग इस बात से खुश थे कि इस बात की घोषणा हमारे यहाँ 14 00 वर्ष पहले ही कर दी गई। कुछ लोग प्रधानमंत्री के थाली-ताली का मजाक उड़ा रहे हैं  और उसके बदले में मस्जिदों में अज़ान देने की बात कर रहे हैं । तो उनको समझ लेना चाहिए अज़ान नमाज के लिए बुलावा है। इसलिए ऐसा कुछ न करे। यानि क्रिया की प्रतिक्रिया बिलकुल न दें । सिर्फ शासन, प्रशासन, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, सुरक्षा के नियमों का पालन करें। यह आपकी जान का नहीं बल्कि पूरी मानवता का सवाल है। इसलिए अगर हम अपनों का भला चाहते हैं , अपने मुल्क का भला चाहते हैं , मानव समाज का भला चाहते हैं  तो न तुम मुझे जानों न हम तुम्हें जानें ।
सईद अहमद संपादक वेब वार्ता (न्यूज एजेंसी)